Friday 31 December 2010
नया साल मुबारक
आसमान ने सितारों भरी ओढ़ के चादर
ज़मीं का हाथ पकड़ के कहा ! चलो मेरी जान
अपनी औलाद जिसे दुनिया कहती है इंसान
उसकी खुशियों के वास्ते आओ दुआ मांगे
सारे संसार की खुशियाँ उन्हें देना मेरे मौला
उनके सपनो को ताबीर हो हासिल किसी भी हाल
हो उनकी दौलत,शौहरत और इज्ज़त में खूब इजाफा
उनकी हर ख्वाहिश को साकार बनाये नया साल
"दीपक" तेरी देहरी पे जलाते हैं ऐ ! जगतारक
औलांदे सब कुदरत की सबको नया साल मुबारक
दीपक शर्मा
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक शर्मा
Saturday 24 July 2010
Friday 16 July 2010
Wednesday 26 May 2010
सेमल जैसी काया लेकर
सेमल जैसी काया लेकर देखो चंदा आया रे
रौशन जगमग मेरे अंगना देखो उतरा साया रे
पूनो वाली ,रात अमावास जैसी लगती दुनिया को
चांदनी मेरे द्वारे आई ,छाया जग मे उजियारा रे ।
दूध कटोरे माफिक आंखिया,बिन बोले कह देती बतिया
रात बने दिन जगते जगते ,दिन भये सोते सोते रतिया
मुंह से दूध की लार गिरे तो मां ने हाथ फैलाया रे
चांदनी मेरे द्वारे आई ,छाया जग मे उजियारा रे ।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक शर्मा
कवि दीपक शर्मा
रौशन जगमग मेरे अंगना देखो उतरा साया रे
पूनो वाली ,रात अमावास जैसी लगती दुनिया को
चांदनी मेरे द्वारे आई ,छाया जग मे उजियारा रे ।
दूध कटोरे माफिक आंखिया,बिन बोले कह देती बतिया
रात बने दिन जगते जगते ,दिन भये सोते सोते रतिया
मुंह से दूध की लार गिरे तो मां ने हाथ फैलाया रे
चांदनी मेरे द्वारे आई ,छाया जग मे उजियारा रे ।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक शर्मा
कवि दीपक शर्मा
Monday 3 May 2010
माफ़ कर दो आज देर हो गई आने में
माफ़ कर दो आज देर हो गई आने में
वक़्त लग जाता है अपनों को समझाने में।
किरण के संग संग ज़माना उठ जाता है
देखना पड़ता है मौका छुप के आने में ।
रूठ के ख़ुद को नहीं मुझको सजा देते हो क्या मज़ा आता है यूं मुझको तड़पाने में ।
एक लम्हे में कोई भी बात बिगड़ जाती है
उम्र लग जाती किसी उलझन को सुलझाने में ।
तेरी ख़ुशबू से मेरे जिस्म "ओ"जान नशे में हैं
"दीपक" जाए भला फिर क्यों किसी मयखाने में ।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक शर्मा
कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.com
सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक शर्मा
कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.
Maaf kardo aaj der ho gai aane me
Waqt lag jata hai apno ko samjaane me.
Kiran ke saath saath zamana uth jata hai
mauka dekhna padta hai chup ke aane me.
Rooth kar khud ko nahi mujhko saza dete ho
kiya maza aata hain mujhko yoon tadhpaane me.
Ek lamhe mein koi bhi baat bigadh jaati hain
Umr lag jaati hai kisi uljhan ko suljhane me .
Teri khushbo se mere zism "o"jaan nashe me hain
"Deepak"jaaye bhala fir kyon kisi maykhaane me
all rights reserved @ Deepak Sharma
Wednesday 28 April 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)